ऐ मरे दिल......
और बेइंतहाँ करता था इबादत जिसकी।
जिसको पाने की चाहत ने तुझे धड़कने की दी थी ताकत।। ऐ दिल मेरे दोस्त, मेरे हमदम......
किस पर मैं ऐतवार करूँ और किस पर ऐतराज करूँ।
तू ये भी तो बता कि मैं किसका इंतज़ार करूँ।।
यहाँ तो हैं सभी हूर के पुजारी
किसकी मैं इबादत करूँ और किसको प्यार करूँ।।
ऐ दिल मेरे दोस्त, मेरे हमदम......
यहाँ तो लगा है हुस्न का मेला
खरीदारों की भीड़ में हूँ मैं बिलकुल अकेला।।
यहाँ तो लगा है हुस्न का मेला
खरीदारों की भीड़ में हूँ मैं बिलकुल अकेला।।
तू ये भी तो बता कि मैं किसे खरीदूँ और किसे इंकार करूँ।।
ऐ दिल मेरे दोस्त, मेरे हमदम......
सुनील कुमार सिंह
सुनील कुमार सिंह
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